पहाड़ का दर्द: उत्तरकाशी में आई कुदरत की कहर भरी रात

पहाड़ का दर्द: उत्तरकाशी में आई कुदरत की कहर भरी रात

उत्तराखंड के सुंदर पहाड़ी इलाके, उत्तरकाशी के धराली गांव में 5 अगस्त 2025 को दोपहर 1:30 बजे एक भयानक त्रासदी घटी। खीरगंगा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में अचानक बादल फटा, जिससे ज़ोरदार बाढ़ और मलबा क्षेत्र में फैल गया। इस प्राकृतिक आपदा से धराली गांव और आसपास के इलाके बुरी तरह प्रभावित हुए तथा चार लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 40 से 75 लोग लापता हैं

कैसे हुई घटना?

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, अचानक तेज आवाज़ के साथ पहाड़ी से भारी मात्रा में पानी और मलबा नीचे की ओर बहने लगा। कुछ ही मिनटों में कई घर, होटल और दुकानें इस बाढ़ में समा गए। चीख-पुकार के साथ अफरा-तफरी का माहौल बन गया। भारी बारिश और मलबे का सबसे ज्यादा असर बाजार इलाके में देखने को मिला, जहां पानी की तेज धार ने सब कुछ तबाह कर दिया

राहत एवं बचाव कार्य

जिला प्रशासन, पुलिस, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और सेना की टीमें तत्काल राहत एवं बचाव अभियान में जुट गईं। आईटीबीपी कैंप में प्रभावित लोगों को सुरक्षित पहुंचाया गया है और उन्हें भोजन, दवाइयां और अन्य सुविधाएँ दी जा रही हैं। सेना की और टीमें भी राहत के लिए हर्षिल बेस से रवाना की गईं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हालात की निरंतर निगरानी कर तत्काल राहत सहायता का आश्वासन दिया है।

अभी कैसा है धराली का हाल?

धराली के हालात बेहद गंभीर हैं। कई मकान, होटल और दुकानें मलबे में तब्दील हो गए हैं और प्रभावितों को अस्थायी शिविरों में पहुंचाया गया है। बाढ़ और भूस्खलन के कारण गंगोत्री हाईवे बाधित है। मौसम विभाग ने अगले 24 घंटे में भारी बारिश का अलर्ट भी जारी किया है, जिससे चुनौती और बढ़ सकती है।

क्या है आगे की चुनौती

स्थानीय प्रशासन और राहत टीमें 24×7 बहादुरी से मोर्चा संभाले हुए हैं। लेकिन लापता लोगों की तलाश, मलबा हटाने, बिजली-पानी बहाली और प्रभावितों के पुनर्वास की राह लंबी है। सोशल मीडिया पर लगातार आ रही ताज़ा तस्वीरें इस आपदा की भयावहता बयान कर रही हैं।

उत्तरकाशी का वीडियो

धराली त्रासदी उत्तराखंड के लिए एक कड़ी चुनौती बनी है, लेकिन प्रशासन, सेना और स्थानीय लोगों के साहस और सहानुभूति के बल पर उम्मीद कायम है कि संकट की इस घड़ी में सभी प्रभावितों तक मदद जरूर पहुंचेगी। बारिश के मौसम में उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में सतर्कता और जागरूकता सबसे जरूरी है

पहाड़ का दर्द: उत्तरकाशी में आई कुदरत की कहर भरी रात

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