
लगातार बारिश की वजह से उत्तराखंड के कई जिलों में भारी नुकसान हो गया है जिससे उत्तराखंड के लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है उत्तराखंड में बादल फटने से चमोली जिले के देवल ब्लॉक (विशेष रूप से मोपाटा गांव) और रुद्रप्रयाग जिले की बसुकेदार तहसील के गांव—बरेठ डुंगर टोक, छेनागाड़, और बांगर—में बादल फटने की घटना हुई। इस प्राकृतिक आपदा से भारी भूस्खलन हुआ और मलबा बहने लगा, जिससे इन क्षेत्रों के कई घरों और रास्तों को गंभीर नुकसान पहुंचा है। यह घटना 28 अगस्त 2025 आधी रात को हुआ था
उत्तराखंड में बादल फटने से कई परिवार को खोना पड़ा अपना घर और परिवार के लोग
चमोली के मोपाटा गांव में एक दम्पति—तारा सिंह और उनकी पत्नी—लापता हो गए हैं जब उनका घर और गौशाला भूस्खलन में दब गई। साथ ही, गांव में 15 से 32 मवेशी या तो फंस गए या मारे गए। विक्रम सिंह और उनकी पत्नी घायल हुए हैं।रुद्रप्रयाग की बसुकेदार तहसील में 30-40 परिवार फंसे हुए हैं, अनेक घर क्षतिग्रस्त हुए हैं और कई लोग मलबे में दबे हुए हैं। कर्णप्रयाग और गंगोत्री के राष्ट्रीय राजमार्ग पत्थरों और भूस्खलन के कारण अवरुद्ध हो गए हैं, जिससे आवागमन बाधित है।
राहत और बचाव अभियान
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी स्थिति पर निरंतर नज़र बनाए हुए हैं और जिला प्रशासन को त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। एसडीआरएफ, पुलिस और राजस्व विभाग की टीमें जेसीबी मशीनों की सहायता से मलबा हटाने, फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने एवं बचे लोगों की सहायता में जुटी हैं। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) राष्ट्रीय राजमार्ग को साफ करने के काम में लगा हुआ है।चमोली के मोपाटा गांव से अब तक दो शव बरामद किए जा चुके हैं। क्षेत्र में लगातार बारिश के कारण सभी विकास खंडों में अवकाश घोषित कर दिया गया है, जिससे स्थानीय लोगों को असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है।
मौसम चेतावनी और व्यापक प्रभाव
भारी बारिश के चलते अलकनंदा और पिंडर नदियों में जल स्तर काफी बढ़ गया है। चमोली और रुद्रप्रयाग पुलिस ने नदी किनारे रहने वाले सभी निवासियों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की चेतावनी जारी की है।यह हादसा पिछले सप्ताह चमोली के थराली क्षेत्र में हुई बादल फटने की आपदा के तुरंत बाद आया है, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और एक अन्य का अब तक पता नहीं चला है।हाल की घटना में अब तक और लोगों की मौत की सूचना नहीं है, लेकिन रुक-रुक कर हो रही भारी बारिश से राहत और बचाव कार्य बाधित हो रहे हैं।
प्रशासन की प्राथमिकताएं
वर्तमान में प्रशासन की पहली प्राथमिकता फंसे हुए लोगों को सुरक्षित स्थान तक पहुंचाना, सड़कें जल्दी खोलना, और प्रभावित गांवों में जीवन यापन की व्यवस्था बहाल करना है।
समाज और प्रशासन का सहयोग
प्रशासन द्वारा फंसे हुए लोगों के लिए अस्थायी आश्रय, भोजन और चिकित्सा सुविधा की व्यवस्था की गई है। स्थानीय स्वयंसेवी संगठन भी बचाव और राहत में प्रशासन के साथ जुटे हैं।सरकारी स्तर पर मोबाइल टीमें लगातार क्षेत्र का मुआयना कर रही हैं, ताकि हर पीड़ित तक मदद पहुंचाई जा सके।इस आपदा ने एक बार फिर हिमालयी क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं के प्रति सतर्कता और प्रभावी प्रबंधन की आवश्यकता को उजागर कर दिया है।
ताज़ा स्थिति
अब तक कई शव बरामद किए जा चुके हैं तथा 10+ गांव ज्यादा प्रभावित हुए हैं। राहत व बचाव कार्य लगातार जारी हैं, लेकिन मौसम की प्रतिकूलता की वजह से टीमों को संकट झेलना पड़ रहा है।
व्यापक सामाजिक एवं पर्यावरणीय प्रभाव
बहुत सारे घर, दुकानें, मंदिर और पुल बह गए हैं। बिजली, पानी और संचार लाइनों को भी काफी नुकसान पहुँचा है। राहत शिविरों में लोगों को आश्रय दिया जा रहा है, प्रशासन लगातार पीड़ितों तक हर संभव मदद पहुंचा रहा है। यह घटना हिमालयी क्षेत्रों में जलवायु जोखिमों की चुनौती को दोहराती है।